गणतंत्र दिवस | Republic Day 2024

गणतंत्र दिवस पर निबंध (Republic Day Essay In Hindi) 

गणतंत्र दिवस पर निबंध
(Republic Day Essay in Hindi)

प्रस्तावना

भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में भारत के लोगों द्वारा बेहद खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य होने के महत्व को सम्मान देने के लिये इसको मनाया जाता है, जो 26 जनवरी 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के बाद से मनाया जाता है। इस दिन को भारत सरकार द्वारा पूरे देश में राजपत्रित अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। इसे पूरे भारत वर्ष में विद्यार्थियों द्वारा स्कूल, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में मनाया जाता है।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है?

भारत सरकार हर साल राष्ट्रीय राजधानी, नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित करती है जिसमें इंडिया गेट पर खास परेड का आयोजन होता है। सुबह-सुबह ही इस महान कार्यक्रम को देखने के लिये लोग राजपथ पर इकट्ठा होने लगते है। इसमें तीनों सेनाएँ विजय चौक से अपनी परेड को शुरू करती हैं जिसमें तरह-तरह अस्त्र-शस्त्रों का भी प्रदर्शन किया जाता है। आर्मी बैंड, एन.सी.सी कैडेट्स और पुलिस बल भी विभिन्न धुनों के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। राज्यों में भी इस उत्सव को राज्यपाल की मौजूदगी में बेहद शानदार तरीके से मनाया जाता है।

भारत में गणतंत्र दिवस का दिन राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इस महान दिन का उत्सव लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं, जैसे- समाचार देखकर, स्कूल में भाषण के द्वारा या भारत की आजादी से संबंधित किसी प्रतियोगिता में भाग लेकर आदि। इस दिन भारतीय सरकार द्वारा नई दिल्ली के राजपथ पर बहुत बड़ा कार्यक्रम रखा जाता है, जहाँ झंडारोहण और राष्ट्रगान के बाद भारत के राष्ट्रपति के समक्ष इंडिया गेट पर भारतीय सेना द्वारा परेड की जाती है।

भारत में आजादी के बाद “विविधता में एकता” के अस्तित्व को दिखाने के लिये देश के विभिन्न राज्य भी खास झाँकियों के माध्यम से अपनी संस्कृति, परंपरा और प्रगति को प्रदर्शित करते हैं। लोगों द्वारा अपनी तरफ का लोक नृत्य प्रस्तुत किया जाता है साथ ही गायन, नृत्य और वाद्य यंत्रों को बजाया जाता है। कार्यक्रम के अंत में तीन रंगों (केसरिया, सफेद, और हरा) के फूलों की बारिश वायु सेना द्वारा की जाती है जो आकाश में राष्ट्रीय झंडे का चिन्ह् प्रदर्शित करता है। शांति को प्रदर्शित करने के लिये कुछ रंग-बिरंगे गुब्बारों को आकाश में छोड़ा जाता है।

26 जनवरी का क्या महत्व है?

26 जनवरी के दिन मनाया जाने वाला हमारा यह गणतंत्र दिवस का पर्व हमारे अंदर आत्मगौरव भरने का कार्य करता है तथा हमें पूर्ण स्वतंत्रता की अनुभूति कराता है। यही कारण है कि इस दिन को पूरे देश भर में इतने धूम-धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस का यह पर्व हम सबके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि वह दिन है जो हमें हमारे संविधान का महत्व समझाता है। भले ही हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया था, परन्तु इसे पूर्ण रूप से स्वतंत्रता की प्राप्ति 26 जनवरी 1950 को मिली क्योंकि यह वह दिन था।

जब हमारे देश का संविधान प्रभावी हुआ और हमारा भारत देश विश्व पटल पर एक गणतांत्रिक देश के रुप में स्थापित हुआ। आज के समय यदि हम स्वतंत्र रूप से कोई भी फैसला ले सकते हैं या फिर किसी प्रकार के दमन तथा दुर्वव्यस्था के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं, तो ऐसा सिर्फ हमारे देश के संविधान और गणतांत्रिक स्वरूप के कारण संभव है। यहीं कारण है कि हमारे देश में गणतंत्र दिवस को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस का यह राष्ट्रीय पर्व हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे देश का संविधान तथा इसका गणतांत्रिक स्वरूप ही हमारे देश को कश्मीर से कन्याकुमारी तक जोड़ने का कार्य करता है।

उपसंहार

यह वह दिन है जब हमारा देश विश्व मानचित्र पे एक गणतांत्रिक देश के रुप में स्थापित हुआ। यही कारण है कि इस दिन को पूरे देश भर में इतने धूम-धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। 26 जनवरी का यह दिन हमारे देश के लिए एक ऐतहासिक पर्व है इसलिए हमें पूरे जोश तथा सम्मान के साथ इस पर्व को मनाना चाहिए।

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गणतंत्र दिवस पर भाषण

गणतंत्र दिवस पर भाषण
(Republic Day Speech In Hindi)
रिपब्लिक डे स्पीच

माननीय प्रधानमंत्री जी, अतिथिगण, शिक्षकगण, मित्रगण, आप सभी को मेरा नमस्कार! ये तो हम सभी को पता है कि भारत 15 अगस्त, सन् 1947 को आजाद हुआ था। लेकिन, हमारे देश का संविधान 26 जनवरी, सन् 1950 को लागू हुआ था। इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। लिहाजा, हर साल 26 जनवरी को भारत के गणतांत्रिक राष्ट्र बनने के उपलक्ष्य में इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, कि इस वर्ष भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। यह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं, कि किसी देश में जहां इतनी भिन्नताएं पाई जाती हैं, वहां देश के संविधान ने सभी संस्कृतियों को एकता के धागे में बांधा हुआ है। हर साल ही हमारे देश में होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में विभिन्न राष्ट्रों से मेहमान आकार इस कार्यक्रम का आनंद लेते हैं। इस वर्ष हमारे गणतंत्र दिवस के अवसर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

दोस्तों स्वदेश के प्रेम में तो इस समय सभी डूबे हुए हैं। भारत ने अपनी छवि को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बेहतर स्थिति में पहुँचा दिया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के 77 वर्षों के बाद आज का भारत सम्पूर्ण विश्व के सामने आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। भारत की रीढ़ कही जाने वाली भारतीय सेना आज विश्व की चौथी सबसे मजबूत सेना है, जिसके पास विश्व के सबसे घातक हथियार और आधुनिक तकनीक की मिसाइले मौजूद हैं। क्या ये गर्व की बात नहीं कि आज यदि भारत पर कोई सैटेलाइट अंतरिक्ष से नजर रखती है, तो भारत की तकनीकी मिसाइल अंतरिक्ष में घूम रही उस सैटेलाइट पर भी वार कर सकती है। इतना ही नहीं भारत की वायु सेना का लड़ाकू विमान भी सम्पूर्ण विश्व में आज चर्चा का विषय बना हुआ है।

तकनीक के क्षेत्र में न केवल भारतीय सेना बल्कि भारत के वैज्ञानिक भी पीछे नहीं है। आज भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो भारत को विश्व के सामने अपनी शक्ति से चौंका रहा है। हाल ही में हुए चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग इसका दर्शनीय उदाहरण है। भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया है। इसके अलावा आज भारत न केवल अपने उपग्रहों बल्कि विश्व के अन्य देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजता है।

दोस्तों आज भारत की साक्षरता दर 70% से भी अधिक है, जो कि स्वतंत्रता के समय में मात्र 12% ही थी। भारत में विश्व स्तर की बड़ी यूनिवर्सिटी और कॉलेज हैं, जिसमें बाहर के देशों से भी छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं।

भारतीय आज जीडीपी के लिहाज से विश्व अर्थव्यवस्था में नौवां स्थान रखता है, जो विश्व में तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी भारत ही है। वर्ष 2023-24 के लिए यह अनुमान भी लगाया गया है, कि भारत की जीडीपी 6.5% होगी।

भारत की तरक्की का कोई सीमित क्षेत्र नहीं है, आज भारत यात्रा के मामले में भी सबसे आगे है। भारतीय रेलवे विश्व का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, और भारत ने वंदे भारत ट्रेन की सहायता से यात्रा को और भी अधिक सुविधापूर्ण बना दिया है। साथ ही भारत में कई नई इंडस्ट्री और कंपनियों की संख्या भी अब बढ़ती ही जा रही है। भारत ने लगभग सभी चीजों का उत्पादन बड़े स्तर पर करना शुरू कर दिया है।

लेकिन दोस्तों आज भी इन विकासशील बातों के बीच हमारे भारतीय गणतंत्र के सामने बहुत सी चुनौतियां मुंह फैलाए खड़ी हैं। आजादी के बाद से ही यहाँ भ्रष्टाचार में लगातार वृद्धि हुई है, जिसने चिंता को बढाया है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, देश का बहुत बड़ा हिस्सा आज भी कई मूलभूत सुविधाएं प्राप्त नहीं कर पा रहा है। जिम्मेदार नेता और सरकारी अफसर अपनी जिम्मेदारियों से हाथ धो रहे हैं। इसने समाज में कमाने के कई गलत तरीकों को जन्म दिया है। देश की राजनीति भ्रष्ट नेताओं से भर गई है, जो देश के विकास की सबसे बड़ी रुकावट है।

देश की तरक्की के बीच बेरोजगारी, अशिक्षा, नक्सलवाद और आतंकवाद आदि ने देश में अपने पैर पसारकर इतनी मेहनत से किए गए उस विकास पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। आज वंचित जनता को देखकर सब व्यर्थ प्रतीत होता है। प्रशासन इन समस्याओं को सुलझाने में असमर्थ दिखाई पड़ रहा है। देश की समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं।

देश का हर नागरिक समर्थ और शिक्षित होने का हक रखता है और देश का संविधान ही उन्हें यह हक प्रदान भी करता है, फिर क्यों आज ये बातें सिर्फ अखबारों के कागजों पर ही लिखी रह गई हैं, ये यथार्थ के धरातल पर कब उतरेंगी। आज देश का हर स्वतंत्र नागरिक इन समस्याओं का हल चाहता है। इस हल के साथ ही सच्चे अर्थों में भारत लोकतान्त्रिक देश बन सकेगा।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां जनता को देश का नेतृत्व करने के लिए अपने नेताओं का चुनाव करने के लिए अधिकृत किया जाता है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद हमारे भारत के पहले राष्ट्रपति थे। हमें सन् 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी, इसलिए हमारे देश का बहुत विकास हुआ और शक्तिशाली देशों में गिना गया। कुछ विकासों के साथ, कुछ कमियां भी पैदा हुई हैं, जैसे कि असमानता, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा, आदि। हमें अपने देश को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बनाने के लिए समाज में ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए आज एक बार फिर संकल्प लेने की जरूरत है।

दोस्तों भारत को लंबे संघर्षों के बाद आजादी मिली। 2 साल 11 माह 18 दिन की समय अवधि में तैयार हुआ हमारे देश का संविधान दुनिया के अन्य देशों के समक्ष अद्भुत विशेष और मार्गदर्शक है, जो देश की जनता को उनके मौलिक अधिकारों से अवगत कर उन्हें इस देश में स्वतंत्रता पूर्वक जीवन जीने के साथ-साथ न्यायिक प्रक्रिया से अपने अधिकारों का लाभ लेने में सहायता करता है। लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास रखने वाले देशों के लिए हमारे देश का संविधान एक आदर्श है। हमें अपने इस संविधान का सदैव सम्मान कर इसमें वर्णित अपने अधिकारों का सदुपयोग कर नियम एवं कानूनों का पालन कर इस संविधान की गरिमा बनाए रखने में योगदान देना चाहिए।

मशहूर हिंदी कवि शैलेन्द्र की कुछ पंक्तियाँ हैं-

होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफाई रहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है

मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है

ज्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुजारा होता है

बच्चों के लिये जो धरती मां, सदियों से सभी कुछ सहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है

कुछ लोग जो ज्यादा जानते हैं, इंसान को कम पहचानते हैं

ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं

मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज यही जो रहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है

जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने

मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने

अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है..

अब में अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगा, धन्यवाद।

जय हिंद, जय भारत।।

गणतंत्र दिवस पर कविताएं

गणतंत्र दिवस पर कविताएं
(Republic Day Poem In Hindi)

कविता 1

एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बंधाए,

कितनों ने इनको छूने के कारण कारागार बसाए,

इन्हें पकड़ने में कितनों ने लाठी खाई, कोड़े ओड़े,

और इन्हें झटके देने में कितनों ने निज प्राण गंवाए!

किंतु शहीदों की आहों से शापित लोहा, कच्चा धागा।

एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

जय बोलो उस धीर व्रती की जिसने सोता देश जगाया,

जिसने मिट्टी के पुतलों को वीरों का बाना पहनाया,

जिसने आजादी लेने की एक निराली राह निकाली,

और स्वयं उसपर चलने में जिसने अपना शीश चढ़ाया,

घृणा मिटाने को दुनियाँ से लिखा लहू से जिसने अपने,

‘जो कि तुम्हारे हित विष घोले, तुम उसके हित अमृत घोलो।’

एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

कठिन नहीं होता है बाहर की बाधा को दूर भगाना,

कठिन नहीं होता है बाहर के बंधन को काट हटाना,

गैरों से कहना क्या मुश्किल अपने घर की राह सिधारें,

किंतु नहीं पहचाना जाता अपनों में बैठा बेगाना,

बाहर जब बेड़ी पड़ती है भीतर भी गांठें लग जातीं,

बाहर के सब बंधन टूटे, भीतर के अब बंधन खोलो।

एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

कटीं बेड़ियां औ’ हथकड़ियां, हर्ष मनाओ, मंगल गाओ,

किंतु यहां पर लक्ष्य नहीं है, आगे पथ पर पांव बढ़ाओ,

आजादी वह मूर्ति नहीं है जो बैठी रहती मंदिर में,

उसकी पूजा करनी है तो नक्षत्रों से होड़ लगाओ।

हल्का फूल नहीं आजादी, वह है भारी जिम्मेदारी,

उसे उठाने को कंधों के, भुजदंडों के, बल को तोलो।

एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।

– हरिवंश राय बच्चन

कविता 2

चिश्ती ने जिस जमीं पे पैगामे हक सुनाया

नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया

तातारियों ने जिसको अपना वतन बनाया

जिसने हेजाजियों से दश्ते अरब छुड़ाया

मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

सारे जहां को जिसने इल्मो-हुनर दिया था,

यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था

मिट्टी को जिसकी हक ने जर का असर दिया था

तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था

मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है

टूटे थे जो सितारे फारस के आसमां से

फिर ताब दे के जिसने चमकाए कहकशां से

बदहत की लय सुनी थी दुनिया ने जिस मकां से

मीरे-अरब को आई ठण्डी हवा जहां से

मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

– इकबाल

कविता 3

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,

आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे

हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से

तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे

बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरखे का,

चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुंजा देंगे

परवाह नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम की,

है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे

उफ तक भी जुबां से हम हरगिज न निकालेंगे

तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका

चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे

दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं

खूं से ही हम शहीदों के, फौज बना देंगे

मुसाफिर जो अंडमान के, तूने बनाए, जालिम

आजाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

– अशफाकउल्ला खां

कविता 4

इलाही खैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं,

हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फरियाद करते हैं

कभी आजाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं

मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं

असीराने-कफस से काश, यह सैयाद कह देता

रहो आजाद होकर, हम तुम्हें आजाद करते हैं

रहा करता है अहले-गम को क्या-क्या इंतजार इसका

कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं

यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कैदे-उल्फत में

वो अब आजाद करते हैं, वो अब आजाद करते हैं

सितम ऐसा नहीं देखा, जफा ऐसी नहीं देखी,

वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फरियाद करते हैं

यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते

हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?

कोई बिस्मिल बनाता है, जो मकतल में हमें ‘बिस्मिल’

तो हम डरकर दबी आवाज से फरियाद करते हैं।।

– राम प्रसाद बिस्मिल

कविता 5

होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफाई रहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है

मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है

ज्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुजारा होता है

बच्चों के लिये जो धरती मां, सदियों से सभी कुछ सहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है

कुछ लोग जो ज्यादा जानते हैं, इंसान को कम पहचानते हैं

ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं

मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज यही जो रहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है

जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने

मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने

अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है

हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है..

– शैलेन्द्र

कविता 6

नहीं, ये मेरे देश की आंखें नहीं हैं

पुते गालों के ऊपर

नकली भवों के नीचे

छाया प्यार के छलावे बिछाती

मुकुर से उठाई हुई

मुस्कान मुस्कुराती

ये आंखें

नहीं, ये मेरे देश की नहीं हैं…

तनाव से झुर्रियां पड़ी कोरों की दरार से

शरारे छोड़ती घृणा से सिकुड़ी पुतलियां

नहीं, ये मेरे देश की आंखें नहीं हैं…

वन डालियों के बीच से

चौंकी अनपहचानी

कभी झांकती हैं

वे आंखें,

मेरे देश की आंखें,

खेतों के पार

मेड़ की लीक धारे

क्षिति-रेखा को खोजती

सूनी कभी ताकती हैं

वे आंखें…

उसने झुकी कमर सीधी की

माथे से पसीना पोछा

डलिया हाथ से छोड़ी

और उड़ी धूल के बादल के

बीच में से झलमलाते

जाड़ों की अमावस में से

मैले चांद-चेहरे सुकचाते

में टंकी थकी पलकें उठाईं

और कितने काल-सागरों के पार तैर आईं

मेरे देश की आंखें…

– अज्ञेय

कविता 7

प्राची से झाँक रही ऊषा,

कुंकुम-केशर का थाल लिये।

हैं सजी खड़ी विटपावलियाँ,

सुरभित सुमनों की माल लिये॥

गंगा-यमुना की लहरों में,

है स्वागत का संगीत नया।

गूँजा विहगों के कण्ठों में,

है स्वतन्त्रता का गीत नया॥

प्रहरी नगराज विहँसता है,

गौरव से उन्नत भाल किये।

फहराता दिव्य तिरंगा है,

आदर्श विजय-सन्देश लिये॥

गणतन्त्र-आगमन में सबने,

मिल कर स्वागत की ठानी है।

जड़-चेतन की क्या कहें स्वयं,

कर रही प्रकृति अगवानी है॥

कितने कष्टों के बाद हमें,

यह आज़ादी का हर्ष मिला।

सदियों से पिछड़े भारत को,

अपना खोया उत्कर्ष मिला॥

धरती अपनी नभ है अपना,

अब औरों का अधिकार नहीं।

परतन्त्र बता कर अपमानित,

कर सकता अब संसार नहीं॥

क्या दिये असंख्यों ही हमने,

इसके हित हैं बलिदान नहीं।

फिर अपनी प्यारी सत्ता पर,

क्यों हो हमको अभिमान नहीं॥

पर आज़ादी पाने से ही,

बन गया हमारा काम नहीं।

निज कर्त्तव्यों को भूल अभी,

हम ले सकते विश्राम नहीं॥

प्राणों के बदले मिली जो कि,

करना है उसका त्राण हमें।

जर्जरित राष्ट्र का मिल कर फिर,

करना है नव-निर्माण हमें॥

इसलिये देश के नवयुवको!

आओ कुछ कर दिखलायें हम।

जो पंथ अभी अवशिष्ट उसी,

पर आगे पैर बढ़ायें हम॥

भुजबल के विपुल परिश्रम से,

निज देश-दीनता दूर करें।

उपजा अवनी से रत्न-राशि,

फिर रिक्त-कोष भरपूर करें॥

दें तोड़ विषमता के बन्धन,

मुखरित समता का राग रहे।

मानव-मानव में भेद नहीं,

सबका सबसे अनुराग रहे,

कोई न बड़ा-छोटा जग में,

सबको अधिकार समान मिले।

सबको मानवता के नाते,

जगतीतल में सम्मान मिले॥

विज्ञान-कला कौशल का हम,

सब मिलकर पूर्ण विकास करें।

हो दूर अविद्या-अन्धकार,

विद्या का प्रबल प्रकाश करें॥

हर घड़ी ध्यान बस रहे यही,

अधरों पर भी यह गान रहे।

जय रहे सदा भारत माँ की,

दुनिया में ऊँची शान रहे॥

– महावीर प्रसाद ‘मधुप’

कविता 8

भारत में इसकी धूमधाम

छब्बीस जनवरी फिर आई

इसका प्रभात स्वर्णिम ललाम

वह याद दिलाया करता है

रावी तट पर जो प्रण ठाना

ऊँचे स्वर में था घोष हुआ

है हमें अग्निपथ अपनाना

होकर स्वाधीन जियेंगे हम

बलि हों चाहें अनगिनत प्राण

– सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

कविता 9

स्वतंत्र भारत के बेटे और बेटियो !

माताओ और पिताओ

आओ, कुछ चमत्कार दिखाओ। 

नहीं दिखा सकते ?

तो हमारी हां में हां ही मिलाओ। 

हिंदुस्तान, पाकिस्तान अफगानिस्तान

मिटा देंगे सबका नामो-निशान

बना रहे हैं-नया राष्ट्र ‘मूर्खितान’

आज के बुद्धिवादी राष्ट्रीय मगरमच्छों से

पीड़ित है प्रजातंत्र, भयभीत है गणतंत्र

इनसे सत्ता छीनने के लिए

कामयाब होंगे मूर्खमंत्र-मूर्खयंत्र

कायम करेंगे मूर्खतंत्र।

हमारे मूर्खिस्तान के राष्ट्रपति होंगे-

तानाशाह ढपोलशंख

उनके मंत्री (यानी चमचे) होंगे-

खट्टासिंह, लट्ठासिंह, खाऊलाल, झपट्टासिंह

रक्षामंत्री-मेजर जनरल मच्छरसिंह

राष्ट्रभाषा हिंदी ही रहेगी, लेकिन बोलेंगे अंगरेजी। 

अक्षरों की टांगें ऊपर होंगी, सिर होगा नीचे, 

तमाम भाषाएं दौड़ेंगी, हमारे पीछे-पीछे।

सिख-संप्रदाय में प्रसिद्ध हैं पांच ‘ककार’-

कड़ा, कृपाण, केश, कंघा, कच्छा। 

हमारे होंगे पांच ‘चकार’-

चाकू, चप्पल, चाबुक, चिमटा और चिलम।

इनको देखते ही भाग जाएंगी सब व्याधियां

मूर्खतंत्र-दिवस पर दिल खोलकर लुटाएंगे उपाधियां

मूर्खरत्न, मूर्खभूषण, मूर्खश्री और मूर्खानंद।

प्रत्येक राष्ट्र का झंडा है एक, हमारे होंगे दो, 

कीजिए नोट-लंगोट एंड पेटीकोट 

जो सैनिक हथियार डालकर 

जीवित आ जाएगा

उसे ‘परमूर्ख-चक्र’ प्रदान किया जाएगा। 

सर्वाधिक बच्चे पैदा करेगा जो जवान

उसे उपाधि दी जाएगी ‘संतान-श्वान’

और सुनिए श्रीमान-

मूर्खिस्तान का राष्ट्रीय पशु होगा गधा, 

राष्ट्रीय पक्षी उल्लू या कौआ, 

राष्ट्रीय खेल कबड्डी और कनकौआ। 

राष्ट्रीय गान मूर्ख-चालीसा, 

राजधानी के लिए शिकारपुर, वंडरफुल !

राष्ट्रीय दिवस, होली की आग लगी पड़वा। 

प्रशासन में बेईमान को प्रोत्साहन दिया जाएगा, 

ईमानदार सुर्त होते हैं, बेईमान चुस्त होते हैं। 

वेतन किसी को नहीं मिलेगा, 

रिश्वत लीजिए, 

सेवा कीजिए !

‘कीलर कांड’ ने रौशन किया था

इंगलैंड का नाम, 

करने को ऐसे ही शुभ काम-

खूबसूरत अफसर और अफसराओं को छांटा जाएगा

अश्लील साहित्य मुफ्त बांटा जाएगा। 

पढ़-लिखकर लड़के सीखते हैं छल-छंद, 

डालते हैं डाका, 

इसलिए तमाम स्कूल-कालेज 

बंद कर दिए जाएंगे ‘काका’।

उन बिल्डिगों में दी जाएगी ‘हिप्पीवाद’ की तालीम 

उत्पादन कर से मुक्त होंगे

भंग-चरस-शराब-गंजा-अफीम

जिस कवि की कविताएं कोई नहीं समझ सकेगा, 

उसे पांच लाख का ‘अज्ञानपीठ-पुरस्कार मिलेगा। 

न कोई किसी का दुश्मन होगा न मित्र, 

नोटों पर चमकेगा उल्लू का चित्र!

नष्ट कर देंगे-

धड़ेबंदी गुटबंदी, ईर्ष्यावाद, निंदावाद। 

मूर्खिस्तान जिंदाबाद!

– काका हाथरसी

कविता 10

गणतंत्र-दिवस की स्वर्णिम

किरणों को मन में भर लो !

आलोकित हो अन्तरतम,

गूँजे कलरव-सम सरगम,

गणतंत्र-दिवस के उज्ज्वल

भावों को मधुमय स्वर दो !

आँखों में समता झलके,

स्नेह भरा सागर छलके,

गणतंत्र-दिवस की आस्था

कण-कण में मुखरित कर दो !

पशुता सारी ढह जाये,

जन-जन में गरिमा आये,

गणतंत्र-दिवस की करुणा-

गंगा में कल्मष हर लो !

– महेन्द्र भटनागर

गणतंत्र दिवस पर शायरी (Republic Day Shayari In Hindi)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

– बिस्मिल अज़ीमाबादी

दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त

मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी

– लाल चन्द फ़लक

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा

हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा

– अल्लामा इक़बाल

लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है

उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी

– फ़िराक़ गोरखपुरी

वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है

मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में

– चकबस्त ब्रिज नारायण

उसे यह फिक्र है हरदम नया तर्जे जफा क्या है

हमें यह शौक हैं देखें सितम की इंतहा क्या है 

– भगत सिंह 

दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे

आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे

– चंद्रशेखर आजाद

वह गुलशन जो आबाद था गुजरे जमाने में 

मैं शाखे खुश्क हूं उजड़े गुलिश्तां का

– अशफाक उल्ला खां

शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले

वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा

– अशफाक उल्ला खां  

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी  

सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहां हमारा 

– अल्लामा इकबाल 

दिल की बर्बादी का क्या मज्कूर है

यह नगर सौ मरतबा लूटा गया है

– मीर तकी मीर 

महफिल उनकी, साकी उनका

आंखें मेरी बाकी उनका

– अकबर इलाहाबादी 

लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में

तुम तरस नहीं खाते, बस्तियाँ जलाने में

– बशीर बद्र 

बोझ उठाए हुए फिरती है हमारा अब तक

ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी

– परवीन शाकिर

नक़्शा ले कर हाथ में बच्चा है हैरान

कैसे दीमक खा गई उस का हिन्दोस्तान

– निदा फ़ाज़ली

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (Republic Day Wishes In Hindi)

1.
कुछ नशा तिरंगे की आन का है
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 2024

2.
भारत माता तेरी गाथा, सबसे ऊंची तेरी शान
तेरे आगे शीश झुकाएं, दें तुझको सब सम्मान।
भारत माता की जय, हैप्पी रिपब्लिक डे 2024

3.
ना पूछो ज़माने से कि क्या हमारी कहानी है,
हमारी पहचान तो बस इतनी है कि हम सब हिंदुस्तानी हैं।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।

4.
कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना,
कभी तपती धूप में जल कर देख लेना,
कैसे होती है हिफाज़त मुल्क की,
कभी सरहद पर चल कर देख लेना।
26 January Ki Hardik Shubhkamnaye

5.
आओ झुककर सलाम करें उन्हें,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है
खुशनसीब होता है वो खून,
जो देश के काम आता है।
गणतंत्र दिवस की बधाई

6.
इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी, चिरागों को जलाये रखना
लहू देकर जिसकी हिफाजद की हमने,
उस तिरंगे को आँखों में बसाये रखना।
आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

7.
हर एक दिल में हिंदुस्तान है,
राष्ट्र के लिए मान-सम्मान है
भारत मां के बेटे हैं हम,
इस मिट्टी पर हम सब को अभिमान है।
Happy Republic Day

8.
फना होने की इजाजत ली नहीं जाती,
ये वतन की मोहब्बत है, पूछकर की नहीं जाती,
इस दिन के लिए वीरों ने अपना खून बहाया है,
झूम उठो देशवासियों गणतंत्र दिवस आया है।
Happy Republic Day 2024

9.
बचपन भी एक दौर था
गणतंत्र दिवस में एक शोर था
आज ना जाने क्या हो गया देश को
इंसानों में मजहबी बैर हो गया।
Gantantra Diwas Ki Shubhkamnaye

10.
क्या बनाने आए थे और क्या बना बैठे,
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद बना बैठे,
हमसे अच्छी जात तो उन परिंदों की है,
कभी मंदिर पे जा बैठे, कभी मस्जिद पे जा बैठे।
गणतंत्र दिवस 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं

भारत का राष्ट्रगान (National Anthem Of India In Hindi) 

जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा
द्रविड़ उत्कल बंग।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशीष मागे।
गाहे तव जयगाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे

जय जय जय जय हे॥

– रवीन्द्रनाथ टैगोर

भारत का राष्ट्रगीत (National Song Of India In Hindi)

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम्
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि,
तुमि मर्म त्वं हि प्राणा:
शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्
वन्दे मातरम् ।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम् नमामि कमलां
अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

श्यामलां सरलां सुस्मितां
भूषितां धरणीं भरणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।।

– बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय